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Full text of Bhusan, Yadav letter to AAP volunteers

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11 भार्च 2015
प्रशाॊत बूषण औय मोगेन्द्र मादव का आभ आदभी ऩार्टी वारॊटर्टमय के नाभ खरु ा ऩत्र
प्माये दोस्तों,
हभें ऩता है कक पऩछरे कुछ टदनों की घर्टनाओॊ से देश औय दनुनमा बय के आऩ सबी कामकच ताचओॊ के टदर को
फहुत ठेस ऩहुॉर्ी है. टदल्री र्ुनाव की ऐनतहाससक पवजम से ऩैदा हुआ उत्साह बी ठॊडा सा ऩड़ता जा यहा है.
आऩ ही की तयह हय वारॊटर्टमय के भन भें मह सवार उठ यहा है कक अबूतऩूवच रहय को सभेर्टने औय आगे
फढ़ने की इस घड़ी भें मह गनतयोध क्मों? कामकच ताच मही र्ाहते हैंकक शीषच ऩय पूर्ट न हो, कोई र्टूर्ट न हो. जफ
र्टीवी औय अखफाय ऩय ऩार्टी के शीषच नेताओॊ भें भतबेद की खफयें आती हैं, आयोऩ-प्रत्मायोऩ र्रते हैं, तो एक
साधायण वारॊटर्टमय असहाम औय अऩभाननत भहसूस कयता है. इस स्स्थनत से हभ बी गहयी ऩीड़ा भें हैं.
ऩार्टी-टहत औय आऩ सफ कामकच ताचओॊ की बावनाओॊ को ध्मान भें यखते हुए हभ दोनों ने पऩछरे दस टदनों भें
अऩनी तयप से इस आयोऩ-प्रत्मायोऩ की कड़ी भें कुछ बी नहीॊ जोड़ा. कुछ ज़रूयी सवारों के जवाफ टदए, रेककन
अऩनी तयप से सवार नहीॊ ऩूछे. हभने कामचकताचओॊ औय सभथचकों से फाय-फाय मही अऩीर की कक ऩार्टी भें
आस्था फनामे यखें. व्मस्क्तगत रूऩ से हभ सफकी सीभाएॊ होती हैं रेककन सॊगठन भें हभ एक-दसू ये की कभी
को ऩूया कय रेते हैं. इसीसरए सॊगठन फड़ा हैऔय हभभें से ककसी बी व्मस्क्त से ज्मादा भहत्वऩूणच है. इसी
सोर् के साथ हभने आज तक ऩार्टी भें काभ ककमा है औय आगे बी काभ कयते यहेंगे.
रेककन कर र्ाय साथथमों (सवचश्री भनीष सससोटदमा, सॊजम ससॊह, गोऩार याम औय ऩॊकज गुप्ता) के सावचजननक
फमान के फाद हभ अऩनी र्ुप्ऩी को फहुत ही बायी भन से तोड़ने ऩय भजफूय हैं. याष्ट्रीम कामकच ारयणी भें फहुभत
की याम भुखरयत कयने वारे इस फमान को ऩार्टी के भीडडमा सेर की ओय से प्रसारयत ककमा गमा, औय ऩार्टी के
आथधकारयक पेसफुक, ट्पवर्टय औय वेफसाइर्ट ऩय र्रामा गमा. ऐसे भें मटद अफ हभ र्ुऩ यहते हैंतो इसका
भतरफ मही ननकारा जामेगा कक इस फमान भें रगामे गए आयोऩों भें कुछ न कुछ सच्र्ाई है. इससरए हभ
आऩ के साभने ऩूया सर् यखना र्ाहते हैं.
आगे फढ़ने से ऩहरे एक फात स्ऩष्ट्र्ट कय दें. उऩयोक्त फमान भें हभ दोनों के साथ शाॊनत बूषण जी को बी जोड़
कय कुछ आयोऩ रगामे गए हैं. जैसा कक सवचपवटदत है, टदल्री र्ुनाव से ऩहरे शाॊनत बूषण जी ने कई फाय ऐसे
फमान टदए स्जससे ऩार्टी की छपव औय ऩार्टी की र्ुनावी तैमायी को नुकसान हो सकता था. उनके इन फमानों से
ऩार्टी के कामकच ताचओॊ भें ननयाशा औय असॊतोष ऩैदा हुआ. ऐसे भौकों ऩय हभ दोनों ने शाॊनत बूषण जी के फमानों
से सावचजननक रूऩ से असहभनत ज़ाटहय की थी. र्ॉूकक इन भुद्दों ऩय हभ दोनों की याम शाॊनत बूषण जी से नहीॊ
सभरती है, इससरए फेहतय होगा कक उनसे जुड़े प्रश्नों के उत्तय उनसे ही ऩूछे जामे.
इससे जुड़ी एक औय सभथ्मा धायणा का खडॊ न शुरू भें ही कय देना जरूयी है. पऩछरे दो हफ्ते भें फाय-फाय मह
प्रर्ाय ककमा गमा है कक मह साया भतबेद याष्ट्रीम सॊमोजक के ऩद को रेकय है. मह कहा गमा कक अयपव ॊद बाई
को हर्टाकय मोगेन्द्र मादव को सॊमोजक फनाने का षड्मॊत्र र्र यहा था. सर् मे है कक हभ दोनों ने आज तक
ककसी बी औऩर्ारयक मा अनौऩर्ारयक फैठक भें ऐसा कोई स्जक्र नहीॊ ककमा. जफ 26 पयवयी की फैठक भें
अयपवदॊ बाई के इस्तीपे का प्रस्ताव आमा तफ हभ दोनों ने उनके इस्तीपे को नाभॊजूय कयने का वोर्ट टदमा.
औय कुछ बी भुद्दा हो, याष्ट्रीम सॊमोजक का ऩद न तो भुद्दा था, न है.
मह सर् जानने के फाद सबी वारॊटर्टमय ऩूछते हैं“अगय याष्ट्रीम सॊमोजक ऩद ऩय पववाद नहीॊ था तो आखखय
पववाद ककस फात का? इतना गहया भतबेद शुरू कैसे हुआ?” हभने मथासॊबव इस सवार ऩय र्ुप्ऩी फनामे यखी,
ताकक फात घय की र्ायदीवायी से फाहय ना जाए. रेककन अफ हभेंभहसूस होता है कक जफ तक आऩको मह ऩता
नहीॊ रगेगा तफ तक आऩके भन भें बी सॊदेह औय अननश्र्म ऩैदा हो सकता है. इससरए हभ नीर्े उन भुख्म
फातों का स्ज़क्र कय यहे हैंस्जनके र्रते पऩछरे दस भहीनो भें अयपवन्द्द बाई औय अन्द्म कुछ साथथमों से हभाये
भतबेद ऩैदा हुए. आऩ ही फताएॊ, क्मा हभें मह भुद्दे उठाने र्ाटहए थे मा नही?ॊ
1. रोक-सबा र्ुनाव के ऩरयणाभ आते ही अयपवदॊ बाई ने प्रस्ताव यखा कक अफ हभ दफुाया क ग्रॊ ेस से सभथनच
रेकय टदल्री भें कपय से सयकाय फना रें. सभझाने-फुझाने की तभाभ कोसशशों के फावजूद वे औय कुछ अन्द्म
सहमोगी इस फात ऩय अड़े यहे. टदल्री के अथधकाॉश पवधामकों ने उनका सभथचन ककमा. रेककन टदल्री औय देश
बय के स्जस-स्जस कामचकताच औय नेता को ऩता रगा, अथधकाॊश ने इसका पवयोध ककमा, औय ऩार्टी छोड़ने तक
की धभकी दी. ऩार्टी ने हाई कोर्टच भें पवधानसबा बॊग कयने की भाॊग कय यखी थी. मूॉबी क ग्रॊ ेस ऩार्टी रोक
सबा र्ुनाव भें जनता द्वाया खारयज की जा र्ुकी थी. ऐसे भें क ग्रॊ ेस के साथ गठफॊधन ऩार्टी की साख को
ख़त्भ कय सकता था. हभने ऩार्टी के बीतय मह आवाज़ उठाई. मह आग्रह बी ककमा कक ऐसा कोई बी ननणचम
ऩी.ए.सी औय याष्ट्रीम कामकच ारयणी की याम के भुताबफक़ ककमा जाए. रेककन रेस्फ्र्टनेंर्ट गवनचय को थर्ट्ठी सरखी
गमी औय सयकाय फनाने की कोसशश हुई. मह कोसशश पवधान सबा के बॊग होने से ठीक ऩहरे नवॊफय भाह तक
र्रती यही. (महाॉव इस थर्ठ्ठी भें कई औय जगह हभ ऩार्टी टहत भें कुछ गोऩनीम फातें सावजच ननक नहीॊ कय यहे
हैं) हभ दोनों ने सॊगठन के बीतय हय भॊर् ऩय इसका पवयोध ककमा. इसी प्रश्न ऩय सफसे गहये भतबेद की
फुननमाद ऩड़ी. मह पै सरा हभ आऩ ऩय छोड़ते हैं कक मह पवयोध कयना उथर्त था मा नहीॊ. अगय उस सभम
ऩार्टी क ग्रॊ ेस के साथ सभरकय सयकाय फना रेती तो क्मा हभ टदल्री की जनता का पवश्वास दोफाया जीत ऩात?े
2. रोक सबा र्ुनाव का ऩरयणाभ आते ही सवश्रच ी भनीष सससोटदमा, सॊजम ससहॊ औय आशुतोष ने एक अजीफ
भाॊग यखनी शुरू की. उन्द्होंने कहा कक हाय की स्जम्भेवायी रेते हुए ऩी.ए.सी के सबी सदस्म अऩना इस्तीपा
अयपवन्द्द बाई को सौंऩे, ताकक वे अऩनी सुपवधा से नमी ऩी.ए.सी का गठन कय सके. याष्ट्रीम कामचकारयणी को
बॊग कयने तक की भाॊग उठी. हभ दोनों ने अन्द्म साथथमों के साथ सभरकय इसका कड़ा पवयोध ककमा. (मोगेन्द्र
द्वाया ऩी. ए. सी. से इस्तीपे की ऩेशकश इसी घर्टना से जुडी थी) अगय हभ ऐसी असॊवैधाननक र्ारों का
पवयोध न कयते तो हभायी ऩार्टी औय काॊग्रेस मा फसऩा जैसी ऩार्टी भें क्मा पयक यह जाता ?
3. भहायाष्ट्र, हरयमाणा, झायखण्ड औय जम्भू-कश्भीय भें ऩार्टी के र्ुनाव रड़ने के सवार ऩय ऩार्टी की जून भाह
की याष्ट्रीम कामकच ारयणी भें ऩार्टी कामकच ताचओॊ का भत जानने का ननदेश टदमा गमा था. कामचकताचओॊ का भत
जानने के फाद हभायी औय याष्ट्रीम कामकच ारयणी के फहुभत की मह याम थी कक याज्मों भें र्ुनाव रड़ने का
पै सरा याज्म इकाई के पववेक ऩय छोड़ देना र्ाटहए. मह अयपवन्द्द बाई को भॊज़ूय ना था. उन्द्होंने कहा कक
अगय कहीॊ ऩय बी ऩार्टी र्ुनाव रड़ी तो वे प्रर्ाय कयने नहीॊ जामेंगे. उनके आग्रह को स्वीकाय कयते हुए याष्ट्रीम
कामचकारयणी को अऩना पै सरा ऩरर्टना ऩड़ा, औय याज्मों भें र्ुनाव न रड़ने का पैसरा हुआ. आज मह पै सरा
सही रगता है, उससे ऩार्टी को पामदा हुआ है. रेककन सवार मह है कक बपवष्ट्म भें ऐसे ककसी पै सरे को कै से
सरमा जाम? क्मा स्वयाज के ससद्ाॊत भें ननष्ट्ठा यखने वारी हभायी ऩार्टी भें याज्मों की स्वामतता का सवार
उठाना गरत है?
4. जुराई भहीने भें जफ क ग्रॊ ेस के कुछ भुस्स्रभ पवधामकों के फीजेऩी भें जाने की अपवाह र्री, तफ टदल्री भें
भुस्स्रभ इराकों भें एक गुभनाभ साम्प्रदानमक औय बड़काऊ ऩोस्र्टय रगा. ऩुसरस ने आयोऩ रगामा कक मह
ऩोस्र्टय ऩार्टी ने रगवामा था. श्री टदरीऩ ऩाॊडे औय दो अन्द्म वारॊटर्टमय को आयोऩी फताकय इस भाभरे भें
थगयफ्ताय बी ककमा. इस ऩोस्र्टय की स्जम्भेदायी ऩार्टी के एक कामकच ताच श्री अभानतुल्राह ने र, ी औय अयपवन्द्द
बाई ने उनकी थगरयफ़्तायी की भाॊग की (फाद भें उन्द्हें ओखरा का प्रबायी औय कपय ऩार्टी का उम्भीदवाय फनामा
गमा) मोगेन्द्र ने सावचजननक फमान टदमा कक ऐसे ऩोस्र्टय आभ आदभी ऩार्टी की पवर्ायधाया के खखराप हैं. साथ
ही पवश्वास जतामा कक इस भाभरे भें थगयफ्ताय साथथमों का इस घर्टना से कोई सम्फन्द्ध नहीॊ है. ऩार्टी ने एक
ओय तो कहा कक इन ऩोस्र्टसच से हभाया कोई रेना देना नहीॊ है, रेककन दसू यी ओय मोगेन्द्र के इस फमान को
ऩार्टी पवयोधी फताकय उनके खखराप कामचकताचओॊ भें कापी पवष-वभन ककमा गमा. आऩ ही फताइमे, क्मा ऐसे
भुद्दे ऩय हभें र्ुऩ यहना र्ाटहए था?
5. अवाभ नाभक सॊगठन फनाने के आयोऩ भें जफ ऩार्टी के कामचकताच कयन ससॊह को टदल्री इकाई ने ननष्ट्कापषत
ककमा, तो कयन ससहॊ ने इस ननणमच के पवरुद् याष्ट्रीम अनुशासन ससभनत के साभने अऩीर क, ी स्जसके अध्मऺ
प्रशाॊत बूषण हैं. कयन ससॊह के पवरुद् ऩार्टी-पवयोधी गनतपवथधमों का एक प्रभाण मह था कक उन्द्होंने ऩार्टी
वारॊटर्टमयों को एक एस.एभ.एस बेजकय फीजेऩी के साथ जुड़ने का आह्वान ककमा था. कयन ससॊह की दरीर थी
कक मह एस.एभ.्एस पजी है, स्जसे कक ऩार्टी ऩदाथधकारयमों ने उसे फदनाभ कयने के सरए सबजवामा था.
अनुशासन ससभनत का अध्मऺ होने के नाते प्रशाॊत बूषण ने इस भाभरे की कड़ी जाॊर् ऩय ज़ोय टदम, ा रेककन
ऩार्टी के ऩदाथधकायी र्टार-भर्टोर कयते यहे. अॊतत् कयन ससहॊ के अनुयोध ऩय ऩुसरस ने जाॉर् की औय
एस.एभ.एस वाकई पज़ी ऩामा गमा. ऩता रगा की मह एस.एभ.एस दीऩक र्ौधयी नाभक वारॊटर्टमय ने सबजवाई
थी. जाॉर् को ननष्ट्ऩऺ तयीके से कयवाने की वजह से उल्र्टे प्रशाॊत बूषण ऩय आवाभ की तयपदायी का आयोऩ
रगामा गमा. इसभे कोई शक नहीॊ कक फाद भें अवाभ ऩार्टी पवयोधी कई गनतपवथधमों भें शासभर यहा, रेककन
आऩ ही फताइए अगय कोई कामकच ताच अनुशासन ससभनत भें अऩीर कये तो उसकी ननष्ट्ऩऺ सुनवाई होनी र्ाटहए
मा नहीॊ?
6. जफ टदल्री र्ुनाव भें उम्भीदवायों का र्मन होने रगा तफ हभ दोनों के ऩास ऩार्टी कामकच ताच कुछ
उम्भीदवायों की गॊबीय सशकामत रेकय आने रगे. सशकामत मह थी कक र्ुनाव जीतने के दफाव भें ऐसे रोगों को
टर्टकर्ट टदमा जा यहा था स्जनके पवरुद् सॊगीन आयोऩ थे, स्जनका र्रयत्र फाकी ऩाटर्टचमों के नेताओॊ से अरग नहीॊ
था. सशकामत मह बी थी की ऩुयाने वारॊटर्टमय को दयककनाय ककमा जा यहा था औय टर्टकर्ट के फाये भें स्थानीम
कामचकताचओॊ की फैठक भें धाॊधरी हो यही थी. ऐसे भें हभ दोनों ने मह आग्रह ककमा कक सबी उम्भीदवायों के
फाये भें ऩूयी जानकायी ऩहरे ऩी.ए.सी औय कपय जनता को दी जामे, ऐसे उम्भीदवायों की ऩूयी जाॉर् होनी र्ाटहए
औय अॊनतभ पै सरा ऩी.ए.सी भें पवथधवत र्र्ाच के फाद सरमा जाना र्ाटहए, जैसा कक हभाये सॊपवधान भें सरखा
है. क्मा ऐसा कहना हभाया फ़ज़च नहीॊ था? ऐसे भें हभाये आग्रह का सम्भान कयने की फजाम हभऩय र्ुनाव भें
अड़ॊगा डारने का आयोऩ रगामा गमा. अॊतत् हभाये ननयॊतय आग्रह की वजह से उम्भीदवायों के फाये भें
सशकामतों की जाॊर् कक ससभनत फनी. कपय फायह उम्भीदवायों की रोकऩार द्वाया जाॉर् हुई, दो के टर्टकर्ट यद्द
हुए, र्ाय को ननदोष ऩामा गमा औय फाकक छह को शतच सटहत नाभाॊकन दाखखर कयने टदमा गमा. आऩ ही
फताइए, क्मा आऩ इसे ऩार्टी की भमाचदा औय प्रनतष्ट्ठा फर्ाए यखने का प्रमास कहेंगे माकक ऩार्टी-पवयोधी
गनतपवथध?
इन छह फड़े भुद्दों औय अनेक छोर्टे-फड़े सवारों ऩय हभ दोनों ने ऩायदसशचता, रोकतॊत्र औय स्वयाज के उन
ससद्ाॊतों को फाय-फाय उठामा स्जन्द्हें रेकय हभायी ऩार्टी फनी थी. हभने इन सवारों को ऩार्टी की र्ायदीवायी के
बीतय औय उऩमुक्त भॊर् ऩय उठामा। इस सफ भें कहीॊ ऩार्टी को नुकसान न हो जाम, ेइसीसरए हभने टदल्री
र्ुनाव ऩूया होने तक इॊतज़ाय ककमा औय 26 पयवयी की याष्ट्रीम कामकच ारयणी फैठक भें एक नोर्ट के जरयमे कुछ
प्रस्ताव यखे. हभाये भुख्म प्रस्ताव मे थे-
1. ऩार्टी भें नैनतक भूल्मों की यऺा के सरए एक सभीनत फन, ेजो दो कयोड़ वारे र्ेक औय हभाये उम्भीदवाय
द्वाया शयाफ यखने के आयोऩ जैसे भाभरों की गहयाई से जाॉर् कये ताकक ऐसे गॊबीय आयोऩों ऩय हभायी ऩार्टी
का जवाफ बी फाकी ऩाटर्टचमों की तयह गोरभोर न टदखे.
2. याज्मों के याजनैनतक ननणचम, कभ से कभ स्थानीम ननकाम के र्ुनाव के ननणमच , खदु याज्म इकाई रें. हय
र्ीज़ टदल्री से तम न हो.
3. ऩार्टी के सॊस्थागत ढाॉर्े, आतॊरयक रोकतॊत्र का सम्भान हो औय ऩी.ए.सी एवॊ याष्ट्रीम कामचकारयणी की फैठकें
ननमसभत औय पवथधवत हों.
4. ऩार्टी के ननणमच ों भें वारॊटर्टमसच की आवाज़ सुनने औय उसका सम्भान कयने की ऩमाचप्त व्मवस्था हो.
हभने इन सॊस्थागत भुद्दों को उठामा औय इसके फदरे भें हभें सभरे भनगढॊत आयोऩ. हभने ऩार्टी की एकता
औय उसकी आत्भा दोनों को फर्ाने का हय सॊबव प्रमास ककमा औय हभ ही ऩय ऩार्टी को नुकसान ऩॊहुर्ाने का
आयोऩ रगा. आयोऩ मे कक हभ दोनों ऩार्टी को हयवाने का षड्मॊत्र यर् यहे थे, कक हभ ऩार्टी के पवरुद् दष्ट्ुप्रर्ाय
कय यहे थे, कक हभ सॊमोजक ऩद हथथमाने का षड्मॊत्र कय यहे थे. आयोऩ इतने हास्मास्ऩद हैं कक इनका जवाफ
देने की इच्छा बी नहीॊ होती. मह बी रगता है कक कहीॊ इनका जवाफ देने से इन्द्हें गरयभा तो नहीॊ सभर
जामेगी. कपय बी, क्मूॊकक इन्द्हें फाय-फाय दोहयामा गमा हैइससरए कुछ तथ्मों की सपाई कय देना उऩमोगी यहेगा
ताकक आऩके के भन भें सॊदेह की गुॊजाइश ना फर्े. (ऩत्र रम्फा न हो जामे इससरए हभ महाॉ प्रभाण नहीॊ दे यहे
हैं. कुछ दस्तावेज मोगेन्द्र की पेसफुकhttps://www.facebook.com/AapYogendra ऩय उऩरब्ध हैं)
एक आयोऩ मह था की प्रशाॊत बूषण ने टदल्री र्ुनाव भें ऩार्टी को हयवाने की कोसशश की. टदल्री र्ुनाव भें
उम्भीदवायों के र्मन के फाये भें जो सच्र्ाई ऊऩय फताई जा र्ुकी ह, ैइसे रेकय प्रशाॊत बूषण का भन फहुत
खखन्द्न था. प्रशाॊत कतई नहीॊ र्ाहते थे की ऩार्टी अऩने उसूरों के साथ सभझौता कयके र्ुनाव जीते. उनका
कहना था कक गरत यास्ते ऩय र्रकय र्ुनाव जीतना ऩार्टी को अॊतत् फफाचद औय ख़त्भ कय देगा. उससे फेहतय
मे होगा कक ऩार्टी अऩने ससद्ाॊतों ऩय टर्टकी यहे, र्ाहे उसे अल्ऩभत भें यहना ऩड़े. उन्द्हें मह बी डय था अगय ऩार्टी
को फहुभत से दो-तीन सीर्टें नीर्े मा ऊऩय आ गमी तो वह जोड़-तोड़ के खेर का सशकाय हो सकती है, ऩार्टी के
ही कुछ सॊदेहास्ऩद उम्भीदवाय ऩार्टी को ब्रेकभेर कयने की कोसशश कय सकते हैं. ऐसी बावनाएॊ व्मक्त कयना
औय ऩार्टी को हयाने की दआु मा कोसशश कयना, मे दो बफरकुर अरग-अरग फातें हैं. मोगेन्द्र ने ऩार्टी को कै से
नुक्सान ऩॊहुर्ामा, इसका कोई खरु ासा आयोऩ भें नहीॊ ककमा गमा है. जैसा कक हय कोई जानता है, इस र्ुनाव भें
मोगेन्द्र ने 80 से 100 के फीर् जनसबाएॊ कीॊ, हय योज़ भीडडमा को सॊफोथधत ककमा, र्ुनावी सवेककमे औय
बपवष्ट्मवाणी की औय कामकच ताचओॊ को पोने औय गूगर हैंगआउर्ट ककमे.
एक दसू या आयोऩ मह है कक प्रशाॊत बूषण ने ऩार्टी के खखराप प्रेस कौन्द्पेयेंस कयने की धभकी दी. सर् मह है
कक उम्भीदवायों के र्मन से खखन्द्न प्रशाॊत ने कहा था कक मटद ऩार्टी उम्भीदवायों के र्रयत्र के जाॉर् की
सॊतोषजनक व्मवस्था नहीॊ कयती हैतो उन्द्हें भजफूयन इस भाभरे को सावजच ननक कयना ऩड़गे ा. ऐसे भें, मोगेन्द्र
मादव सटहत ऩार्टी के ऩॊरह वरयष्ट्ठ साथथमों ने प्रशाॊत के घय तीन टदन की फैठक की. पैसरा हुआ कक
सॊदेह्ग्रस्त उम्भीदवायों की रोकऩार द्वाया जाॉर् की जामेगी औय रोकऩार का ननणचम अॊनतभ होगा. मही हुआ
औय रोकऩार का ननणमच आने ऩय हभ दोनों ने उसे ऩूणतच ् स्वीकाय बी ककमा. ऩार्टी को तो पख्र होना र्ाटहए
कक देश भें ऩहरी फाय ककसी ऩार्टी ने एक स्वतॊत्र व्मवस्था फना कय अऩने उम्भीदवायों की जाॉर् की.
एक औय आयोऩ मह बी है कक मोगेन्द्र ने र्ॊडीगढ़ भें ऩत्रकायों के साथ एक ब्रेकपास्र्ट भीटर्टॊग भें “द टहन्द्द” ू
अखफाय को मह सूर्ना दी कक हरयमाणा र्ुनाव का पैसरा कयते सभम याष्ट्रीम कामकच ारयणी के ननणमच का
सम्भान नहीॊ ककमा गमा. मह आयोऩ एक भटहरा ऩत्रकाय ने र्टेरीपोन वाताच भें रगामा, स्जसे गुप्त रूऩ से
रयक डच बी ककमा गमा. रेककन इस कथन के सावजच ननक होने के फाद उसी फैठक भें भौजूद एक औय वरयष्ट्ठ
ऩत्रकाय, श्री एस ऩी ससहॊ ने रेख सरखकय खरु ासा ककमा कक उस फैठक भें मोगेन्द्र ने ऐसी कोई फात नहीॊ
फतामी थी. उन्द्होंने ऩूछा है कक अगय ऐसी कोई बी फात फताई होती, तो फाकी के तीन ऩत्रकाय जो उस नाश्ते
ऩय भौजूद थे उन्द्होंने मह खफय क्मों नहीॊ छाऩी? उनके रेख का
सरॊकhttp://www.caravanmagazine.in/…/indian-express-yogendra-yad… है. आयोऩ मह बी है कक टदल्री
र्ुनाव के दौयान कुछ अन्द्म सॊऩादकों को मोगेन्द्र ने ऩार्टी-पवयोधी फात फताई. मटद ऐसा है तो उन सॊऩादकों के
नाभ सावचजननक क्मों नहीॊ ककमे जाते?
कपय एक आयोऩ मह बी है कक प्रशाॊत औय मोगेन्द्र ने आवाभ ग्रुऩ को सभथनच टदमा. ऊऩय फतामा जा र्ुका है
कक प्रशाॊत ने अनुशासनससभनत के अध्मऺ के नाते आवाभ के कयन ससहॊ के भाभरे भें ननष्ट्ऩऺ जाॉर् का आग्रह
ककमा. एक जज के काभ को अनुशासनहीनता कैसे कहा जा सकता ह? ै मोगेन्द्र के खखराप इस पवषम भें कोई
प्रभाण ऩेश नहीॊ ककमा गमा. उल्र्टे, आवाभ के रोगों ने मोगेन्द्र ऩय ईभेर सरख कय आयोऩ रगाए स्जसका
मोगेन्द्र ने सावचजननक जवाफ टदमा था. जफ आवाभ ने र्ुनाव से एक हफ्ता ऩहरे ऩार्टी ऩय झूठे आयोऩ रगामे
तो इन आयोऩों के खडॊ न भें सफसे अहभ्बूसभका मोगेन्द्र ने ननबामी.
कपय बी र्ूॊकक मह आयोऩ रगामे गए ह, ैंतो उनकी जाॊर् जरूय होनी र्ाटहए. ऩार्टी का पवधान कहता है कक
याष्ट्रीम कामचकारयणी के सदस्मों के खखराप ककसी बी आयोऩ की जाॉर् ऩार्टी के याष्ट्रीम रोकऩार कय सकते हैं.
स्वमॊ रोकऩार ने थर्ट्ठी सरखकय कहा है कक वे ऐसी कोई बी जाॉर् कयने के सरए तैमाय हैं. हभ दोनों रोकऩार
से अनुयोध कय यहे हैंकक वे इन र्ायों साथथमों के आयोऩों की जाॊर् कयें. अगय रोकऩार हभें दोषी ऩाते हैं तो
उनके द्वाया तम की गमी ककसी बी सज़ा को हभ स्वीकाय कयेंगे. रेककन हभें मह सभझ नहीॊ आता कक ऩार्टी
पवधान के तहत जाॊर् कयवाने की फजाम मे आयोऩ भीडडमा भें क्मों रगामे जा यहे हैं?
साथथमों, मह घड़ी ऩार्टी के सरए एक सॊकर्ट बी है औय एक अवसय बी. इतनी फड़ी जीत के फाद मह अवसय है
फड़े भन से कुछ फड़े काभ कयने का. मह छोर्टे छोर्टे पववादों औय तू-तूभ-ैंभैं भें उरझने का वक़्त नहीॊ है.
पऩछरे कुछ टदनों के पववाद से कुछ ननटहत स्वाथों को पामदा हुआ हैऔय ऩार्टी को नुकसान. उससे उफयने का
मही तयीका है कक साये तथ्म सबी कामचकताचओॊ के साभने यख टदए जाएॉ. मह ऩार्टी कामकच ताचओॊ के खनू -ऩसीने
से फनी है. अॊतत् आऩ वारॊटर्टमय ही मे तम कयेंगे कक क्मा सर् हैक्मा झूठ. हभ सफ याजनीनत भें सच्र्ाई
औय इभानदायी का सऩना रेकय र्रे थे. आऩ ही पै सरा कीस्जमे कक क्मा हभने सच्र्ाई, सदार्ाय औय स्वयाज
के आदशों के साथ कहीॊ सभझौता ककमा? आऩका पै सरा हभाये सय-भाथे ऩय होगा.
आऩ सफ तक ऩहुॉर्ाने के सरए हभ मह थर्ठ्ठी भीडडमा को दे यहे हैं. हभायी उम्भीद है कक ऩार्टी अल्ऩभत का
सम्भान कयते हुए इस थर्ठ्ठी को बी उसी तयह प्रसारयत कयेगी जैसे कर अन्द्म र्ाय साथथमों के फमान को
प्रसारयत ककमा था. रेककन हभ भीडडमा भें र्र यहे इस पववाद को औय आगे नहीॊ फढ़ाना र्ाहते. हभ नहीॊ
र्ाहते कक भीडडमा भें ऩार्टी की छीछारेदय हो. इससरए इस थर्ठ्ठी को जायी कयने के फाद हभ कपरहार भौन
यहना र्ाहते हैं. हभ अऩीर कयते हैंकक ऩार्टी के सबी साथी अगरे कुछ टदन इस भाभरे भें भौन यखें ताकक
जख्भ बयने का भौका सभरे, कुछ साथकच सोर्ने का अवकाश सभरे.
दोस्तों, अयपवन्द्द बाई स्वस्थ्म राब के सरए फॊगरूय भें हैं. सफकी तयह हभें बी उनके स्वस्थ्म की थर् ॊता है.
आज अयपवन्द्द बाई ससपच ऩार्टी के ननपवचवाद नेता ही नहीॊ, देश भें स्वच्छ याजनीती के प्रतीक है. ऩार्टी के सबी
कामकच ताच र्ाहते हैंकी वे ऩूयी तयह स्वस्थ होकय टदल्री औय देश के प्रनत अऩनी स्जम्भेवारयमों को ननबा सकें.
हभें पवश्वास है कक वापऩस आकय अयपवन्द्द बाई ऩार्टी भें फन गए इस गनतयोध का कोई सभाधान ननकारेंगे
स्जससे ऩार्टी की एकता औय आत्भा दोनों फर्ी यहें. हभ दोनों आऩ सफ को पवश्वास टदराना र्ाहते हैं कक हभ
ससद्ाॊतों से सभझौता ककमे बफना ऩार्टी को फर्ने की ककसी बी कोसशश भें हय सॊबव सहमोग देंगे, हभने अफ
तक अऩनी तयप से फीर् फर्ाव की हय कोसशश की है, औय ऐसी हय कोसशश का स्वागत ककमा है. जो बी हो,
हभ अहभ को आड़े नहीॊ आने देंगे. हभ दोनों ककसी ऩद ऩय यहे मा ना यहे मे भुद्दा ही नहीॊ है. फस ऩार्टी अऩने
ससद्ाॊतों औय राखों कामकच ताचओ के सऩनों से जुडी यह, ेमही एकभात्र भुद्दा है. हभ दोनों ऩार्टी अनुशासन के
बीतय यहकय ऩार्टी के सरए काभ कयते यहेंगे.
आऩके
प्रशाॊत बूषण , मोगेन्द्र मादव
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